लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस
फॉर्म हाउस भाग 6
सात दिन बाद केस की सुनवाई हुई । हीरेन पूरी तैयारी के साथ अदालत में उपस्थित हुआ था । जैसे ही जज अनिला तिवारी ने "सरकार बनाम रिषिता" केस में आवाज लगाई हीरेन ने अदालत को कहा "मी लॉर्ड, इस केस में अब तक हुई जांच के आधार पर यह कहा जा सकता है कि घटना वाले दिन फॉर्म हाउस पर तीन व्यक्ति थे । राज मल्होत्रा , रिषिता और वीरेंद्र । खून राज मल्होत्रा का हुआ है । पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर उसकी मृत्यु दम घुटने के कारण हुई है । उसके गले पर कोई निशान नहीं पाये गये हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि उसका गला नहीं दबाया गया है जो इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि उसने आत्महत्या नहीं की है । अब प्रश्न यह उठता है कि उसकी हत्या किसने की ? रिषिता ने या वीरेन्द्र ने ? क्योंकि ये दो ही व्यक्ति थे वहां पर । यद्यपि वीरेन्द्र का कहना है कि वह शराब लेने चला गया था पर पुलिस ने इस बाबत ईओई छानबीन नहीं की । पुलिस ने सारा संदेह रिषिता पर ही व्यक्त किया वीरेन्द्र पर नहीं जबकि हत्या वीरेन्द्र भी कर सकता था । क्या पुलिस ने वीरेन्द्र से कोई पूछताछ की थी ? नहीं । क्यों नहीं की, इसका कोई जवाब नहीं है पुलिस के पास । इस बात से जाहिर है कि इस केस में वीरेन्द्र सबसे अहम गवाह है इसलिए उससे गहन पूछताछ करना अति आवश्यक है । अत: मैं अदालत से वीरेन्द्र से जिरह करने की अनुमति चाहता हूं" ।
इस बात का विरोध सरकारी वकील ने किया और कहा कि अब इस स्टेज पर जिरह करने का कोई औचित्य नहीं है । परन्तु जज अनिला तिवारी ने सरकारी वकील की बात को अस्वीकार करते हुए हीरेन को वीरेन्द्र से जिरह करने की अनुमति दे दी । वीरेन्द्र को विटनेस बॉक्स में लाया गया और उससे हीरेन ने पूछताछ प्रारंभ कर दी । "आप कितने समय से फॉर्म हाउस पर काम कर रहे हैं" ? "लगभग 10 वर्षों से" "रिषिता को कब से देखा है आपने फॉर्म हाउस पर" ? "लगभग साल भर से" "क्या उससे पहले कोई और लड़की भी उस फॉर्म हाउस पर आई थी" ?
इस सवाल पर वीरेन्द्र चुप हो गया । उसके चुप होने पर हीरेन ने फिर पूछा "क्या उस फॉर्म हाउस पर रिषिता के अलावा और भी कोई लड़की या महिला आई थी" ? "जी , आई थी" "उसका नाम बता सकते हैं आप" ? "ईशा नाम था उसका" "क्या वह भी रात रात भर रहती थी फॉर्म हाउस में" ? "हां" "वह कितने साल तक आती रही" ? "करीब दो तीन साल तक" "क्या ईशा के अलावा भी और कोई लड़की आती थी वहां" ? "लड़की तो नहीं, एक महिला आती थी जिसका नाम था पवित्रा । वह शादीशुदा थी" "वे दोनों अब कहां हैं" ? "मुझे नहीं पता" "राज मल्होत्रा ने उनसे रिश्ता तोड़ा था या उन दोनों महिलाओं ने राज से रिश्ता तोड़ा था" ? "मुझे नहीं पता । मुझे तो साहब किसी न किसी बहाने से वहां से भेज देते थे । पीछे से क्या होता था , मुझे जानकारी नहीं है" । "क्या कभी उन लड़कियों और राज में कोई लड़ाई झगड़ा हुआ था" ? "मेरे सामने तो नहीं हुआ" । "क्या तुम्हें अच्छी तरह से याद है कि तुम्हारे सामने कोई झगड़ा नहीं हुआ" ? "हां मुझे अच्छी तरह से याद है" "अब पवित्रा कहां है" ? "मुझे नहीं पता" "क्या आपको वाकई नहीं पता या आप बताना नहीं चाहते हैं" ? "मुझे सचमुच में पता नहीं है" वीरेन्द्र ने कह तो दिया पर उसकी आवाज में वह दृढता नहीं थी जो होनी चाहिए थी । हीरेन ने उसे पकड़ लिया और पूछा "जब से पवित्रा और राज मलहोत्रा अलग अलग हुए थे तब से तुम कभी पवित्रा से मिले हो" ? "नहीं, मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह कहां है फिर मैं उससे कैसे मिलता" ? "क्या घटना वाली रात को तुम पवित्रा से नहीं मिले थे" ? "मैं उससे क्यों मिलूंगा" ? "तो फिर तुमको शराब लाने में चार घंटे कैसे लगे" ? "उस रात बहुत जोरों की बरसात हो रही थी साहब , इसलिए टाइम बहुत ज्यादा लगा" "तुम शराब कौन सी दुकान से लाये थे" ? "रात को बारह बजे शहर में कुछ गिनी चुनी दुकानें ही खुलती हैं । उनमें से एक है "ड्रिंकर्स पॉइंट" , उसी से लाया था" "उस दुकान पर कब पहुंचे थे" ? "मुझे याद नहीं है । मैंने टाइम नहीं देखा था" "वापस फॉर्म हाउस पर कब पहुंचे थे" ? "लगभग 4 बजे का समय था" "ये टाइम तुम्हें कैसे याद रहा" ? "जब मैं फॉर्म हाउस पर वापस आया तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था । मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ । न तो साहब की आवाज आ रही थी और न ही रिषिता की आवाज आ रही थी । तब मेरा माथा ठनका और मैंने बाहर से ही साहब को आवाज लगाई । जब कोई उत्तर नहीं आया तब मैं कमरे के अंदर गया तो देखा कि साहब पलंग पर सीधे लेटे हैं । जब मैंने साहब को कई आवाजें लगाईं और वे नहीं बोले तब मैंने उन्हें छूकर देखा तब पता चला कि साहब तो मरे पड़े हैं । तब मैं घबरा गया था । फिर मैंने घड़ी की ओर देखा तो पता चला कि सुबह के चार बज रहे हैं । फिर मैंने फॉर्म हाउस में रिषिता को ढूंढ़ा । वह भी कहीं नहीं मिली तो फिर मैंने मैमसाब को फोन किया था" । वीरेंद्र हांफने लगा था । "तुम झूठ बोल रहे हो वीरेन्द्र । तुमने "ड्रिंकर्स पॉइंट" से शराब रात को 12.45 पर ले ली थी और तुम फॉर्म हाउस पर रात को डेढ पौने दो बजे ही वापस आ गये थे । उस समय रिषिता किचिन में कॉफी बना रही थी । तुमने उस अवसर का फायदा उठाया और राज मलहोत्रा का तकिये से गला दबाकर खून कर दिया और कमरे से बाहर आकर छुपकर रिषिता को वॉच करते रहे । जैसे ही रिषिता कॉफी बनाकर लाई और उसने राज को आवाज दी । राज के नहीं बोलने पर उसने उसे हाथ पकड़कर उठाने की कोशिश की तब उसे पता चला कि वह तो मरा पड़ा है । वह घबरा गई और घबराहट में वह वहां से भाग गई । तुमने उसकी इस स्थिति का फायदा उठाया और उसे हत्या की जिम्मेदार ठहरा दिया जबकि राज की हत्या तुमने की थी" ।
हीरेन की इन बातों से अदालत में सनसनी फैल गई । किसी ने सोचा भी नहीं था कि केस एकदम से यू टर्न ले लेगा । जज अनिला तिवारी , सरकारी वकील और लीना मल्होत्रा भी अवाक् रह गये थे ।
शेष अगले भाग में श्री हरि 4.10.23
RISHITA
13-Oct-2023 01:09 PM
V nice
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hema mohril
11-Oct-2023 09:29 PM
V nice
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Abhinav ji
04-Oct-2023 07:52 AM
Nice
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